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आज के इस युग में हमारे साथ यहां मारे परिवार के साथ कोई अनहोनी ना हो जाए इसके लिए हम बीमा करवाते हैं.
वही खेती किसान का आधार माने जाने वाले पशुधन के बारे में सोचते तक नहीं आया बीमारी मौसम या दुर्घटना से
होने वाली पशु की मौत से किसान को बहुत ज्यादा नुकसान होता है .
किसानों के पशु ही उनकी कमाई का एकमात्र जरिया है।
आज के इस यूपी में बी पशुधन भी लगातार महंगा होता जा रहा है अच्छी मात्रा में दूध देने वाली गाय भैंस भी
लाख रुपए से ज्यादा की आती है अगर घोड़ा ऊंट की बात की जाए तो उनकी कीमत कई लाख की होती है
इसलिए जरूरी है कि अन्य सामान की तरह पशुधन का भी बीमा कराया जाए पशुधन बीमा योजना
एक केंद्र आयोजित योजना आयोजना देश के 340 जिलों में नियमित रूप से चलाई जा रही है।
किसानों तथा पशु पालकों को पशुओं की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से सुरक्षा मुहैया कराने हेतु तथा पशुधन
बीमा के लाभों को लोगों को बताने का था इसे पशुधन तथा उसके उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण विकास के चरम
लक्ष्य के साथ लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया है।
योजना के अंतर्गत विदेशिया शंकर दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य
पर किया जाता है .
बीमा का प्रीमियम 50% तक अनुदानित होता है अनुदान की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा बहन की जाती है
अनुदान का लाभ अधिकतम 2 पशु प्रति लाभार्थी को अधिकतम 3 साल की एक पॉलिसी के लिए मिलता है।
देसी या शंकर जी दारू मवेशी और गैस योजना की परिधि के अंतर्गत आएंगे दुधारू पशु वह , भैंस में दूध देने
वाले और नहीं देने वाले के अलावा वैसे गर्भवती मंगेशी जिन्होंने कम से कम एक बार बछड़े को जन्म दिया
वो शामिल होंगे।
ऐसे मवेशी जो किसी दूसरी बीमा योजना आत्मा योजना के अंतर्गत शामिल किए गए वह उन्हें इस योजना
में शामिल नहीं किया जाएगा।
अनुदान का लाभ प्रत्येक लाभार्थी को 2 पशुओं तक सीमित रखा गया है तथा एक पशु की बीमा अधिकतम
3 वर्ष के लिए की जाती है।
किसानों को 3 साल की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो सस्ती और बढ़िया तथा सुखा
जैसी प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने पर बीमा का वास्तविक लाभ पाने में उपयोगी हो सकती है।
किसानों को अपने पशु का इंश्योरेंस करवाने के लिए अपने जिले के पशु चिकित्सालय में बीमा के लिए जानकारी
देनी होगी पशु डॉक्टर और बीमा कंपनी का एक एजेंट किसान के घर पर जाकर वहां पशु के स्वास्थ्य की
जांच करता है पशु के स्वास्थ्य होने पर एक हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है .
पशु का बीमा करने के दौरान बीमा कंपनी द्वारा पशु के कान में टैग लगाया जाता है किसान की अपने पशु के
साथ एक फोटो ली जाती है उसके बाद बीमा पॉलिसी जारी की जाती है।
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