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हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 या स्पेशल मैरिज एक्स 1954 के तहत विवाह का पजीकरण करवाना काफी आसान है |
इसके लिए पति-पत्नी जहाँ रहते है वहां के सबडिवीजनल मजिस्ट्रेट के दफ्तर में अर्जी देनी होती है
जिस पर दोनों के हस्ताक्षर हो, अर्जी के साथ संलग्न दस्तवेजो की जांच होती है
और शादी के लिए निर्धारित किये गए दिन को विवाह का पजीकरण हो जाता है और गैज़ेटेड अफसर की उपस्थिति में प्रमाण-पत्र दिया जाता है
विवाह प्रमाण-पत्र का आवेदन आप को ऑनलाइन करना होगा |
पति – पत्नी का आधार कार्ड
पति-पत्नी का जन्म प्रमाण-पत्र या 10वीं कक्षा की अंकतालिका
पति-पत्नी की पासपोर्ट फोटो एवं दोनों की जॉइंट फोटो
दोनों के पिता का आधार कार्ड एवं पोसपोर्ट फोटो
पति की तरफ से एक गवाह एवं पत्नी की तरफ से भी एक गवाह चाहिए
गवाह बनने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड या फिर एक कोई भी ID एवं पोसपोर्ट फोटो
विवाह प्रमाण-पत्र बनाने के लिए कुल 7 शपत-पत्र बनवाने होते है
पति के नाम से
पत्नी के नाम से
पति के पिता के नाम से
पत्नी के पिता के नाम से
पति के गवाह के नाम से
पत्नी के गवाह के नाम से
पंडित के नाम से
भारतीय कानून के अनुसार यह प्रमाण-पत्र विवाहित होने का मान्य क़ानूनी प्रमाण होता है |
पासपोर्ट बनवाने के लिए |
बैंक में खाता खोलने के लिए |
टेवल वीजा या किसी दूसरे देश मेंस्थायी रूप से निवास करने के लिए आवेदन करने के दौरान विवाह प्रमाण-पत्र काफी सहायक होता है |
पति-पत्नी के बिच दहेज़, तलाक एवं गुजारा-भत्ता जैसे – मामलों के विवाद होने की स्थिति में विवाह प्रमाण-पत्र ही विवाहित होने एवं क़ानूनी प्रमाण मान्य होता है |
जीवन बिमा से सम्बंधित फायदे लेने ले के लिए भी विवाह प्रमाण पत्र जरुरी होता है |
विवाह प्रमाण-पत्र महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा दिलाता है |
शादी-शुदा हो या तलाक-शुदा, दोनों ही स्थितियों में विवाह प्रमाण-पत्र काम आता है |
बाल-विवाह पर लगान लगाने में भी विवाह प्रमाण-पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , क्योकिं शादी की उम्र से पहले शादी कर लेने की स्थिति में विवाह प्रमाण-पत्र नहीं बनता है |
शादी के बाद धोखा-धड़ी करने की स्थिति में
विवाह प्रमाण-पत्र दोषी को पकड़ने एवं सजा दिलाने में सहायक होता है |